कोयला चोरी पर अंकुश हेतु सीसीएल कर रहा आधुनिक तकनीकी का इस्ते माल 

Area- हेडक्वार्टर, Posted on- 06-03-2019


कुछ गतिविधियों का स्क्रीनशॉट
एक जिम्मेीदार सार्वजनिक उपक्रम होने के नाते सेन्ट्र ल कोलफील्ड्सथ लिमिटेड (सीसीएल) न सिर्फ कोयला उत्पािदन में नित्य् नये कीर्तिमान स्थाडपित कर रहा है है बल्कि ‘’देश के संसाधन यानि कोयले’’ की चोरी पर लगाम अंकुश के लिए नवीनतम तकनीकी का प्रयोग कर रहा है। कायाकल्पे मॉडल पर आधारित ‘’पारदर्शिता’’ सीसीएल की प्राथमिकता में से एक है। कोयला चोरी पर नियंत्रण हेतु सीसीएल अपने कार्यक्षेत्र जो झारखंड के 8 जिलों में कार्यरत है अपने कमांड क्षेत्रों में सीसीटीवी आधारित भार नियंत्रण (CCTV based Weighing Control) और निगरानी प्रणाली (Monitoring System) के साथ जीपीएस/जीपीआरएस आधारित वाहन ट्रैकिंग सिस्टम और आरएफआईडी जैसी नवीनतम तकनीक के माध्यम से कोयले की चोरी की रोकथाम नजर रखा जा रहा है। इस तकनीक की सहायता से सीसीएल के कमांड क्षेत्र के अंतर्गत खदानों से साईडिंग एवं कोल हैण्डतलिंग प्लांमट (सीएचपी) तक ट्रकों के परिवहन पर निगरानी रखी जा रही है एवं नियमित रूप से कोयला उत्पाकदन, प्रेषण, विपणन एवं अन्यत संबंधित रिपोर्ट बनायी जा रही है। 
इस प्रणाली से के मूर्तरूप लेने से सिर्फ सीसीएल के कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ा है बल्कि उत्पाैदकता में भी वृद्धि दर्ज की गयी है। वाहन परिवहन पर निगरानी बढ़ने से कोयला चोरी पर अकुंश लगने के साथ-साथ सड़क सुरक्षा पर भी नियत्रंण हुआ है। माननीय रेल एवं कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने उत्पासदन, उत्पांदकता, प्रेषण के साथ-साथ कोयला चोरी पर अंकुश लगाने पर विशेष बल दिया है इस दिशा में उन्हों्ने सभी को कार्य करने हेतु प्रेरित किया है एवं समय-समय पर उचित दिशा-निर्देंश भी दिये हैं। इसी कड़ी में पिछले वर्ष माननीय मंत्री श्री गोयल ने ‘’खान प्रहरी’’ नामक मोबाईल ऐप भी जारी किया था। इस ऐप के माध्य्म से आमजन भी सरकार के कोयला चोरी रोकने की मुहिम में अपनी सहभागिता निभा रहा है। 
सीएमडी श्री गोपाल सिंह के नेतृत्व  में सीसीएल ने ‘’कायाकल्प  मॉडल ऑफ गर्वेंनेंस’’ के तहत विकास और समृद्धि के नये आयाम गढ़ रहा है। इस प्रभावशाली मॉडल का एक मजबूत स्तंडभ है पारदर्शिता। सीसीएल अपनी पारदर्शी, जिम्मे दार एवं एक उत्तररदायी कार्यप्रणाली को सुदृढ़ कर रहा है। इस दिशा में वीटीएस, आरएफआईडी, ई-टेन्ड रिंग, कोलनेट आदि को क्रियान्वित कर पारदर्शिता को सशक्तद किया है। श्री गोपाल सिंह के मार्गनिर्देंशन में सीसीएल नवीनतम तकनीक के माध्यिम से भारत सरकार की इस मुहिम में अपना महत्व्पूर्ण योगदान दे रहा है। 
निम्नलिखित तकनीक का एकीकरण कर संयुक्ते रूप से यह प्रणाली क्रियान्वित की गयी है।
(क) जीपीएस/जीपीआरएस आधारित वाहन ट्रैकिंग प्रणाली : ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) उपग्रह के आधार पर कार्य करता है। इसमें एक समय में 3 या अधिक उपग्रह कि सहायता से वाहन की स्थिति की जानकारी प्राप्तर की जाती है। जीपीएस ट्रैकिंग यूनिट एक उपकरण है जो वाहन की सटिक स्थिति निर्धारित करने और नियमित अंतराल पर कोयले की स्थिति को रिकॉर्ड करने के लिए (जीपीएस) का उपयोग करता है। वर्तमान में कुल 2150 जीपीएस/जीपीआरएस यंत्र सीसीएल कमांड क्षेत्रों में स्थापित किए गए है। 
(ख) आरएफआईडी युक्तं सीसीटीवी आधारित निगरानी एवं वजन नियंत्रण प्रणाली : रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) सिस्टम टैग को वस्तुि या वाहन पर लगाया जाता है। आरएफआईडी में आंतरिक मेमोरी होती है जिसमें वाहन संबंधी जानकारी जैसे कि सीरियल नंबर, पंजीकरण संख्या, चालक का विवरण आदि संग्रहित किया जा सकता है। जब ये आरएफआईडी टैग किसी फ़ील्ड रीडर के समक्ष से गुजरते हैं, तो आरएफआईडी में सक्षिप्तआ जानकारी मिल जाती है। इस प्रणाली में इस्ते माल की जा रही सीसीटीवी में आरएफआईडी  की जानकारी प्राप्ती करने की क्षमता है। इन सीसीटीवी को कांटाघरों (वेब्रिज), साईडिंग आदि स्थातनों पर क्रियान्वित किया गया है। इस हेतु वर्तमान में 112 सीसीटीवी स्थाेपित किये गये हैं। 
(ग) मुख्याालय एवं सभी कमांड क्षेत्रों में केंद्रीय नियंत्रण कक्ष और सभी परियोजना कार्यालय का कम्यू‍इस टरीकरण :  उपरोक्ते स्थांपित प्रणाली के माध्यतम से निरंतर निगरानी रखने के लिए सीसीएल मुख्याइलय, क्षेत्रिय कार्यालयों एवं ईकाईयों में वीटीएस नियंत्रण कक्ष तीन पालियों में लगातार कार्य कर रहा है। निगरानी के साथ-साथ इस प्रणाली के माध्यकम से अलर्ट/रिपोर्ट प्राप्तक की जाती है। इन रिपोर्टों का विश्लेषण कर उचित कार्रवाई की जाती है। 2150 आरएफआईडी टैग के माध्यजम से वाहनों के परिवहन पर सतत नज़र रखने के लिए दो प्रक्रिया विकसित की गयी है। 
1. मानचित्र देखने के लिए एक वेब आधारित जीआईएस प्रणाली।
2. त्वरित निर्णय हेतु मोबाइल एप्लीकेशन प्रणाली।
इस प्रणाली से प्राप्तर डाटा को क्षेत्रिय कार्यालय एवं मुख्याणलय स्थित सर्ववर पर रखा जाता है जिससे समय-समय पर रिपोर्ट बनायी जाती है। इन रिपोर्ट से प्रबंधन द्वारा जानकारी, निर्णय एवं विभिन्नस कार्यवाई हेतु इस्तेनमाल किया जाता है।